20 interesting facts about Bollywood actor Raj kumar
01 – राज कुमार ( Raj Kumar ) का जन्म लारलाई ब्लूचिस्तान ( वर्तमान पाकिस्तान ) में एक कश्मीरी पंडित के घर हुआ था। पर क्या आप जानते है राजकुमार का पूरा नाम क्या है ? उनका असली नाम कुलभूषण नाथ पंडित था।
02 – इस अनुभवी व दिग्गज अभिनेता ने अपने समय मे कई बेहतरीन हिट फिल्मे दी है। उन्होने अपने करियर में लगभग 70 से अधिक हिंदी फिल्मों में काम किया है।
03 – फिल्म ‘दिल एक मंदिर’ में राज कुमार ने कैंसर के मरीज का किरदार निभाया था।
04 – राज कुमार अपनी पत्नी से जेनिफर से पहली बार एक फ्लाइट में मिले थे। उस समय जेनिफर एक फ्लाइट अटेंडेंट थी जो आंगे चलकर शादी के बाद अपना नाम बदलकर गायत्री कर दिया।
05 – पढ़ाई खत्म करने के बाद राजकुमार पुलिस मे भर्ती हो गए थे। वे मुंबई के माहिम थाने मे सब इंस्पेक्टर की पोस्ट मे कार्यरत थे। जहा अक्सर लोग उनकी रोबीली आबाज के कारण तारीफ किया करते थे और फिल्मों मे जाने के लिए कहा करते थे। कई फिल्मी कलाकारो का भी उनके थाने मे आना जाना लगा रहता था। इसके बाद आखिरकार राजकुमार ने पुलिस की नौकरी छोड़कर फिल्मों मे जाना स्वीकार किया।
06 – फिल्म निर्माता बलदेव दुबे की मुलाकात राजकुमार से पुलिस स्टेशन मे ही हुई थी। कई मुलाकातों के बाद बलदेव ने उन्हे अपनी फिल्म ‘शाही बाजार’ मे एक रोल देने का पेशकश की थी। और उन्होने स्वीकार्य कर लिया व पुलिस की नौकरी से इस्तीफा दे दिया।
07 – शाही बाजार को पर्दे पर आने मे काफी समय लग रहा था। लेकिन बिना काम के पेट तो नही भरा जा सकता इसलिए उन्होने फिल्म रंगीली मे छोटा रोल किया जो साल 1952 मे Release हुई। और इस तरह यह उनकी पहली फिल्म बनी जो कुछ भी कमाल नही कर पाई।
08 – रंगीली फिल्म के बाद शाही बाजार रिलीज हुई पर बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह पिट गई लेकिन काम तो करना था इसलिए उन्होने कई छोटे-छोटे अभिनय किए जिनमे ‘अनमोल’ ‘सहारा’, ‘अवसर’, ‘घमंड’, ‘नीलमणि’ और ‘कृष्ण सुदामा’ जैसी फिल्मे शामिल है। पर अफसोस की बात यह है की इनमे से कोई भी फिल्म box office पर सफल नही थी वे अपने झंडे गाड़ने मे नाकामयाब रही थी।
09 – इस अभिनेता की फिल्मे ना चल पाने की वजह से रिस्तेदारों ने कहा तुम फिल्मों मे हीरो के लिए नही बने हो। तुम्हारा चेहरा फिल्म के लिए नही है। कुछ ऐसे भी थे जिंहोने कहा खलनायकी का किरदार निभाओ उसमे ठीक रहेगा। साल 1952 से लेकर 1957 वे जी तोड़ संघर्ष करते रहे ताकी फिल्म इंडस्ट्री मे किसी तरह बने रहे।
10 – लगभग सात वर्षो की कड़ी मेहनत के बाद फिल्म आई मदर इंडिया जिसमे उन्होने एक गरीब किसान का किरदार निभाया था। हालाकी फिल्म मे उनका रोल छोटा था। लेकिन फिर भी फिल्म की अपार सफलता ने लोगो की जुबान पर उनका नाम उकेर दिया।



11 – 1968 मे आई धर्मेंद्र की फिल्म आंखे Super hit रही थी लेकिन यह सबसे पहले राजुकुमार को offer की गई थी। रामानन्द सागर यह फिल्म राजकुमार के साथ बनाना चाहते थे । लेकिन जब वे फिल्म की स्क्रिप्ट लेकर उनके पास पहुचे और कहानी सुनाई तो उन्होने मना कर दिया और स्क्रिप्ट अपने कुत्ते को दिखाई कुत्ते ने कोई response नही दिया तो राज कुमार ने कहा मै तो क्या मेरा कुत्ता भी इस फिल्म मे काम नही करना चाहता।
12 –जब वे गोविंदा के साथ फिल्म जंगबाज़ मे काम कर रहे थे । तो उन्हे गोविंदा की के शर्ट पसंद आ गई थी इस पर गोविंदा ने अपनी शर्ट उन्हे दे दी । लेकिन कुछ दिनो के बाद लोगो ने देखा की राजकुमार साहब ने तो शर्ट को काटकर रुमाल बना दिया था। और उसे जेब मे डाले घूम रहे थे।
13 – उन्होंने अनगिनत हिट फिल्मों के साथ फिल्म उद्योग में 4 दशकों से अधिक समय तक काम किया है। इसके लिए उन्हे फिल्म जगत का सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से साल1996 मे नवाजा गया था।
14 – फिल्म ‘दिल एक मंदिर’ और ‘वक़्त’ मे इनके दमदार अभिनय को देखते हुए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्म फेयर पुरस्कार दिया जा चुका है।
15 – राज कुमार ( Raj Kumar ) सिर्फ नाम के ही राजकुमार नही थे उन्हे अपने खास राजशाही अंदाज के लिए भी जाना जाता था। लोग उन्हे हिन्दी फिल्म जगत का राजकुमार भी कहते थे।



16 – राज कुमार ( Raj Kumar ) और दिलीप कुमार दोनों ही सर्वश्रेष्ठ व अनुभवी कलाकार थे। और कहा जाता है की दोनों की ही आपस में बिल्कुल भी नही बनती थी। लेकिन दोनों ने ही सौदागर मे साथ काम किया, कहा जाता है सिर्फ फिल्म को फिल्माने के दौरान ही साथ नजर आते थे इसके बाद फिल्म सेट पर रहते हुए भी एक दूसरे से बात नही करते थे।
17 – इनकी हिट फिल्म पाकीजा मे राज कुमार ने मुख्य किरदार के दौर पर काम किया था । जो की साल 1972 मे आई थी लेकिन फिल्म मेकर की पहली पसंद ये नही थे इससे पहले ये फिल्म मूल रूप से राजेंद्र कुमार, सुनील दत्त और धर्मेंद्र को ऑफर की गई थी।
18 – अभिनेता राज कुमार के कुछ सर्वश्रेष्ठ डायलॉग जो दर्शको को रोमांचित कर देते है।
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चिनॉय सेठ, जिनके घर शीशे के बने होते हैं वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकते। फ़िल्म ‘वक्त’ (1965)
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आपके पैर बहुत खूबसूरत हैं। इन्हें ज़मीन पर मत रखिए, मैले हो जाएंगे। फ़िल्म ‘पाकीजा’ (1971)
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हम तुम्हें मारेंगे और जरूर मारेंगे। लेकिन वह वक्त भी हमारा होगा। बंदूक भी हमारी होगी और गोली भी हमारी होगी। फ़िल्म ‘सौदागर’ (1991)
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काश कि तुमने हमे आवाज दी होती तो हम मौत की नींद से भी उठकर चले आते। फ़िल्म ‘सौदागर’ (1991)
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हमारी जुबान भी हमारी गोली की तरह है। दुश्मन से सीधी बात करती है। फ़िल्म ‘तिरंगा’ (1993)
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हम आंखो से सुरमा नहीं चुराते। हम आंखें ही चुरा लेते हैं। फ़िल्म ‘तिरंगा’ (1993)
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हम तुम्हें वह मौत देंगे जो न तो किसी कानून की किताब में लिखी होगी और न ही किसी मुजरिम ने सोची होगी। फ़िल्म ‘तिरंगा’ (1993)
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दादा तो इस दुनिया में दो ही हैं। एक ऊपर वाला और दूसरा मैं। फ़िल्म ‘मरते दम तक’ (1987)
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हम कुत्तों से बात नहीं करते। ‘मरते दम तक’ (1987)
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बाजार के किसी सड़क छाप दर्जी को बुलाकर उसे अपने कफन का नाप दे दो। ‘मरते दम तक’ (1987)
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हम तुम्हें ऐसी मौत मारेंगे कि तुम्हारी आने वाली नस्लों की नींद भी उस मौत को सोचकर उड़ जाएगी। फ़िल्म ‘मरते दम तक’ (1987)
19 – वे अपने गर्मजोसी व मुखर स्वभाव के लिए भी जाने जाते थे। कहा जाता है कि उन्होने प्रकाश मेहरा की फिल्म जंजीर को सिर्फ इसलिए अस्वीकार कर दिया था क्योंकि उन्हें ‘निर्देशक का चेहरा’ पसंद नहीं आया था।
20 – गले मे क़ैसर के चलते 69 साल की उम्र मे 3 जुलाई 1996 को उन्होने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था।
राज कुमार ( Raj Kumar ) की प्रमुख फिल्में
वर्ष (Year) | फ़िल्म (Movie) | चरित्र ( character ) |
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1995 | बकवास | |
1995 | ग़ॉड एंड गन | राजबहादुर राठौड |
1995 | जवाब | अश्विनीकुमार सक्सेना |
1994 | बेताज बादशाह | राजा पृथ्वीराज |
1993 | इंसानियत के देवता | जेलर राणाप्रताप सिंह |
1993 | तिरंगा | ब्रिगेडियर सूर्यदेव सिंह |
1992 | पुलिस और मुज़रिम | वीरबहादुर सिंह |
1991 | सौदागर | ठाकुर राजेश्वरसिंह/राजू |
1990 | पुलिस पब्लिक | जगमोहन आजाद |
1989 | सूर्या:एक जागृति | राजपाल चौहान |
1989 | जंगबाज़ | Advocate. कृष्णप्रसाद सक्सेना |
1989 | देश के दुश्मन | शेर खान |
1989 | गलियों का बादशाह | राम/राजा |
1988 | मोहब्बत के दुश्मन | रहमत खान |
1988 | साजिश | कैलाश/सम्पत |
1988 | महावीरा | D.C.P.कर्मवीर/डॉन |
1987 | इतिहास | जोगिन्दर सिंह |
1987 | मरते दम तक | S.I.राणे/डॉन राणा |
1987 | मुकद्दर का फैसला | पंडित कृष्णकांत |
1984 | एक नई पहेली | उपेन्द्रनाथ |
1984 | सहारा | धर्मवीर सिंह |
1984 | राज तिलक | समद खान |
1982 | धर्म काँटा | ठाकुर भवानीसिंह |
1981 | कुदरत | चौधरी जनकसिंह |
1980 | चम्बल की कसम | ठाकुर सूरजसिंह/बदनसिंह |
1980 | बुलन्दी | प्रोफेसर सतीश खुराणा |
1978 | कर्मयोगी | शंकर/मोहन |
1976 | एक से बढ़कर एक | शंकर |
1974 | ३६ घंटे | अशोक रॉय |
1973 | हिन्दुस्तान की कसम | राजीव |
1972 | दिल का राजा | राजा विचित्र सिंह |
1971 | लाल पत्थर | कुमारबहादुर ग्यानशंकर राय |
1971 | मर्यादा | राजबहादुर/राजाबावू |
1971 | पाकीज़ा | सलीमअहमद खान |
1970 | हीर राँझा | रांझा |
1968 | मेरे हुज़ूर | नबाव सलीम |
1968 | वासना | कैलाश |
1968 | नीलकमल | चित्रसेन |
1967 | नई रोशनी | ज्योति कुमार |
1967 | हमराज़ | कप्तान राजेश |
1965 | वक्त | राजू/राजा |
1965 | रिश्ते नाते | सुंदर |
1965 | ऊँचे लोग | श्रीकाँत |
1965 | काजल | मोती |
1964 | ज़िंदगी | गोपाल |
1963 | प्यार का बंधन | कालू |
1963 | फूल बने अंगारे | राजेश |
1963 | गोदान | होरी |
1963 | दिल एक मन्दिर | राम |
1961 | घराना | कैलाश |
1960 | दिल अपना और प्रीत पराई | सुशील के. वर्मा |
1959 | अर्द्धांगिनी | |
1959 | उजाला | कालू |
1959 | शरारत | सूरज |
1959 | पैग़ाम | रामलाल बहादुर |
1958 | पंचायत | मोहन |
1957 | मदर इण्डिया | श्यामू |
1957 | कृष्ण-सुदामा | |
1957 | नौशेरवान-ए-आदिल | नौशाजाद/जोसेफ |
1957 | नीलमणि | |
1955 | घमंड | |
1953 | अवसर | |
1952 | अनमोल सहारा | |
1952 | रंगीली |
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